Monday, December 23, 2024
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भैरूंदा- मेडिटेशन ट्रेनर नेहा लखेरा द्वारा कॉलेज में कराया गया ध्यान अभ्यास।

भैरूंदा। शासकीय  महाविद्यालय, के द्वारा शनिवार 21 दिसंबर को प्रथम विश्व ध्यान दिवस के उपलक्ष में “आंतरिक शांति, वैश्विक सद्भाव” के विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मेडिटेशन ट्रेनर बी.के. नेहा लखेरा द्वारा विद्यार्थियों, एनएसएस के स्वयंसेवकों और शिक्षकों को राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराया। उन्होंने बताया कि मेडिटेशन विचारशून्यता नहीं बल्कि पॉजिटिव विचारों को एक डायरेक्शन देना है
जिससे हमारे जीवन में मानसिक शांति, आनंद, खुशी की अनुभूति होती है साथ ही नफरत,डर, ईर्ष्या जैसी नेगेटिव भावनाएं खत्म होती होती है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर के अनुसार 90% से अधिक शारीरिक बीमारियां भी मन की गलत सोच, तनाव, अवसाद, अनिद्रा, चिंता आदि से उत्पन्न होती है लेकिन ध्यान से हमारा मन शक्तिशाली होता है और यदि मन शक्तिशाली है तो जीवन में आने वाली समस्याएं और परिस्थिति हम पर हावी नहीं हो पाते इसलिए सभी को प्रतिदिन कम से कम 10 मिनट ध्यान का अभ्यास जरूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ध्यान तो हमारे भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपरा रहा है, तो हमारे लिए ये बहुत ही हर्ष और गर्व का विषय है कि 21 दिसंबर को पहला विश्व ध्यान दिवस विश्वभर में मनाया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य डां.बी.एस. हरियाले,डां. एस.एस.मीणा, डां.वी.एन.कुबडे़, डां. दीपमाला ब्रम्हे, डांं.उर्मिला सतोगिया, नीता वर्मा, डां. अर्पणा निगम, उषा राजपूत इत्यादि उपस्थित थे।
रूंदा के द्वारा शनिवार 21 दिसंबर को प्रथम विश्व ध्यान दिवस के उपलक्ष में “आंतरिक शांति, वैश्विक सद्भाव” के विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मेडिटेशन ट्रेनर बी.के. नेहा लखेरा द्वारा विद्यार्थियों, एनएसएस के स्वयंसेवकों और शिक्षकों को राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराया। उन्होंने बताया कि मेडिटेशन विचारशून्यता नहीं बल्कि पॉजिटिव विचारों को एक डायरेक्शन देना है जिससे हमारे जीवन में मानसिक शांति, आनंद, खुशी की अनुभूति होती है साथ ही नफरत,डर, ईर्ष्या जैसी नेगेटिव भावनाएं खत्म होती होती है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर के अनुसार 90% से अधिक शारीरिक बीमारियां भी मन की गलत सोच, तनाव, अवसाद, अनिद्रा, चिंता आदि से उत्पन्न होती है लेकिन ध्यान से हमारा मन शक्तिशाली होता है और यदि मन शक्तिशाली है तो जीवन में आने वाली समस्याएं और परिस्थिति हम पर हावी नहीं हो पाते इसलिए सभी को प्रतिदिन कम से कम 10 मिनट ध्यान का अभ्यास जरूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ध्यान तो हमारे भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपरा रहा है, तो हमारे लिए ये बहुत ही हर्ष और गर्व का विषय है कि 21 दिसंबर को पहला विश्व ध्यान दिवस विश्वभर में मनाया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य डां.बी.एस. हरियाले,डां. एस.एस.मीणा, डां.वी.एन.कुबडे़, डां. दीपमाला ब्रम्हे, डांं.उर्मिला सतोगिया, नीता वर्मा, डां. अर्पणा निगम, उषा राजपूत इत्यादि उपस्थित थे।
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