हार्वर्ड मेडिसिन स्कूल की रिसर्च ने बताए इसके 9 बड़े कारण
विटामिन ‘डी’ एकमात्र ऐसा विटामिन है, जिसे हमारा शरीर खुद बना सकता है। इसके लिए हमें सिर्फ धूप की जरूरत होती है। जिस तरह सूरज की रौशनी में पौधे फोटो सिंथेसिस करके अपने लिए खाना बनाते हैं, उसी तरह हमारा शरीर भी अपने लिए विटामिन ‘डी’ बनाता है।
लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि सूरज की रोशनी मुफ्त में मिलने के बावजूद दुनिया की करीब आधी आबादी विटामिन ‘डी’ की कमी से जूझ रही है। हमारे देश में तो मामला और भी गंभीर है। Tata 1 mg लैब की एक स्टडी के मुताबिक भारत में करीब 76% लोग विटामिन ऊ की कमी से जूझ रहे हैं। इसका मतलब हुआ कि हर 4 में से 3 लोगों के शरीर में विटामिन ‘डी’ की कमी है। भारत की भौगोलिक अवस्थिति को देखें तो हमारे देश के बीचोंबीच से कर्क रेखा गुजरती है। यानी हमारे देश को साल भर सरप्लस सनलाइट मिलती है।
भारत में बढ़ सकता है बीमारियों का ग्राफ
हमारे शरीर में विटामिन ‘डी’ के सिर पर उतनी ही जिम्मेदारियां हैं, जितनी घर के किसी उम्रदराज मुखिया के सिर पर होती हैं। यह हमारे शरीर की बुनियादी जरूरतों में से एक है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मुताबिक कुल मिलाकर विटामिन ‘डी’ हमारे शरीर में 200 से ज्यादा छोटे-बड़े फंक्शंस के लिए जिम्मेदार है। स्टैनफोर्ड मेडिकल स्कूल की 2019 की एक स्टडी के मुताबिक विटामिन ‘डी’ की कमी जानलेवा बीमारियों की संभावना 18% बढ़ा देती है। ऐसे में भारत में इतनी बड़ी संख्या में इसकी कमी आने वाले समय में बीमारियों का ग्राफ बढ़ा सकती है।
बुढ़ापे का सहारा है विटामिन ‘डी’
स्वस्थ शरीर और मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन ‘डी’ बेहद जरूरी है। हमारे बुढ़ापे का असल सहारा भी विटामिन ‘डी’ ही है। यह डॉक्टर की तरह हमारा ख्याल रखता है। कई बार हमें पता ही नहीं होता कि हमारे शरीर में किसी चीज की कमी हो रही है और क्यों हो रही है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिसर्च के मुताबिक ऐसे कुल 9 फैक्टर हैं, जिनकी वजह से हमारे शरीर में विटामिन ‘डी’ की कमी हो सकती है। धरती के जिन हिस्सों पर सूरज की सीधी रौशनी नहीं पड़ती, वहां UVB किरणें भी कम पहुंचती हैं। इन किरणों की मदद से ही हमारा शरीर विटामिन ‘डी’ बनाता है। यही वजह है कि ठंडे देशों में लोगों को विटामिन ‘डी’ के सप्लीमेंट्स लेने पड़ते हैं।