Monday, December 23, 2024
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40 की उम्र वाले लोगों में तेजी से बढ़ रहा लंग कैंसर

कैंसर से होने वाली हर 5 मौतों में से एक की वजह फेफड़ों का कैंसर

पूरी दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों में से लगभग 5 में से 1 मौत फेफड़ों के कैंसर की वजह से होती है, जिसके चलते यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है। हालांकि, धूम्रपान इसके जोखिम को बढ़ाने वाला सबसे मुख्य घटक है, परंतु धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों में भी वायु प्रदूषण, व्यावसायिक खतरों और आनुवंशिक कारकों की वजह से बड़ी तेजी से इसके मामले सामने आ रहे हैं।

लंग्स कैंसर जागरूकता माह सेहत से जुड़े एक बड़े संकट की ओर हमारा ध्यान खींचता है, जो सिर्फ़ सिगरेट पीने जैसे पारंपरिक जोखिम के दायरे से परे है। नवंबर का महीना फेफड़े के कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने को समर्पित है और मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल ने फेफड़ों के कैंसर के खिलाफ जारी संघर्ष में बचाव से लेकर उपचार तक के सफर की गहराई से पड़ताल की है, ताकि दुनिया भर में कैंसर के सबसे सामान्य और जानलेवा रूप को उजागर किया जा सके।

दुनिया भर में कैंसर की वजह से होने वाली मौतों में फेफड़े का कैंसर सबसे प्रमुख कारण है, जिसे देखते हुए मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल इस जानलेवा बीमारी की शुरुआत में पहचान करने, इसकी रोकथाम करने और इसके इलाज में हुई प्रगति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के संकल्प पर कायम है। डॉ. सरव शाह, थोरैसिक ऑन्को सर्जन, डॉ. भावेश पारेख, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और डॉ. देवांग भावसार, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट सहित विशेषज्ञों की एक टीम साथ मिलकर एमडीटी की बैठकों में इलाज के लिए प्रोटोकॉल तैयार करती है। दिल्ली जैसे शहरी इलाकों में हवा की गुणवत्ता इतनी खराब है कि, वहां रहना एक दिन में 50 सिगरेट पीने के बराबर है।

ये आँकड़े बेहद चिंताजनक हैं, जो फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाली पर्यावरणीय समस्याओं को तुरंत दूर करने की जरूरत को उजागर करते हैं। गौरतलब है कि, कभी धूम्रपान नहीं करने वाले और 40 के आसपास की उम्र वाले लोगों में फेफड़े के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, जबकि पहले इस आयु वर्ग के लोगों को कम जोखिम वाला माना जाता था। इस ट्रेंड से जाहिर होता है कि, फेफड़ों के कैंसर के लगातार बढ़ते मामलों में वायु प्रदूषण और पर्यावरण से जुड़े दूसरे खतरों की बेहद अहम भूमिका है। धीरे-धीरे यह सोच बदल रही है कि सिर्फ धूम्रपान करने वालों को ही फेफड़े का कैंसर होता है, जो पहले से बेहतर सतर्कता, शुरुआत में पहचान और सर्वांगीण देखभाल की अहमियत को उजागर करती है।

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