डेंगू, टाइफाइड, पेट, त्वचा व श्वसन-तंत्र की परेशानियां बढ़ जाती हैं बारिश के सीजन में
मानसून के आने से हम सभी को चिलचिलाती गर्मी से बड़ी राहत मिलती है लेकिन इस मौसम में सेहत की कुछ महत्वपूर्ण समस्याएं भी सामने आती हैं। मौसम बदलने और लगातार बारिश के कारण लोग अक्सर स्वास्थ्य की विभिन्न समस्याओं से गुजरते हैं। इन समस्याओं में डेंगू, टाइफाइड, पेट के संक्रमण, श्वसन-तंत्र की परेशानियां और त्वचा की दिक्कतें आदि शामिल हैं।
मानसून का असर इम्युनिटी पर भी हो सकता है और ऐसे में संतुलित एवं पौष्टिक आहार लेना जरूरी हो जाता है। एमबीबीएस और न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. रोहिणी पाटिल बादाम, ताजे फल और मौसमी सब्जियों जैसे पोषण से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने रोजाना के आहार में शामिल करने की सलाह दे रही हैं। उनका कहना है कि इन चीजों में जरूरी पोषक-तत्व होते हैं, जो न सिर्फ ऊर्जा बढ़ाते हैं, बल्कि इम्युनिटी को भी मजबूत करते हैं।
बादाम: जिन्दगी में छोटे-छोटे बदलाव करके आप एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। उदाहरण के लिये, रोजाना मुट्ठीभर बादाम खाने और नियमित व्यायाम करने से स्वस्थ्य जीवनशैली और संपूर्ण तंदुरुस्ती बनाये रखने में मदद मिल सकती है। बादाम देखने में छोटी होती हैं, लेकिन उनमें 15 जरूरी पोषक-तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जैसे कि कॉपर, जिंक, फोलेट और आयरन। यह तत्व इम्युनिटी को बनाये रखने और इसे बढ़ाने में योगदान देते हैं। मजबूत इम्युनिटी उन संक्रमणों और दूसरी बीमारियों से लड़ने में मदद करती है, जो मानसून के मौसम में होती हैं। ताजे फल: सेब, अनार, बेरीज और केला जैसे ताजे फलों में वह विटामिन और एंटीऑक्सींडेन्ट्स अच्छी खासी मात्रा में होते हैं।
क्या खाने से बचें
जंक फूड: मानसून के मौसम में अस्वस्थ स्ट्रीट फूड और भारी, तेलीय व्यंजनों से बचना जरूरी है। क्योेंकि इनसे पाचन और भी खराब हो सकता है और भोजन तथा पानी से होने वाली बीमारियों की संभावना बढ़ सकती है बासी या बचा हुआ भोजन: मानसून के मौसम में, बचे हुए भोजन में तेजी से बैक्टीरिया पनप सकते हैं और ऐसा भोजन खाने से फूड पॉइजीनिंग का जोखिम बढ़ जाता है। इससे बचने के लिये, बासी खाना न खाएं और बचे हुए भोजन को हमेशा एयरटाइट डिब्बों में भरकर फ्रिज में रखें। पत्तेदार और कच्ची सब्जियां: मानसून के सीजन में कुछ पत्तेदार व कच्ची सब्जियों को खाते वक्त सचेत रहना महत्वपूर्ण है, क्योंकि उमस वाला मौसम उनमें संदूषण व जीवाणुओं की वृद्धि का जोखिम बढ़ा सकता है।