Sunday, December 22, 2024
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ब्लड कैंसर के लिए सस्ती CAR-T थेरेपी, भारत में इलाज की नई क्रांति

लेन्टिवायरस, जो सीएआर-टी थेरेपी की लागत का 50% होता है, अब कम खर्चे में बनाया जाएगा

ब्लड कैंसर के लिए सस्ती सीएआर-टी थेरेपी आने से भारत में कैंसर के इलाज की नई क्रांति आ गई है। सीएआर-टी थेरेपी, जो वर्तमान में रक्त कैंसर (ब्लड कैंसर) के कुछ प्रकारों के इलाज में सबसे आधुनिक और प्रभावी मानी जाती है, अब भारत में सस्ती और सुलभ बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।

यह इलाज मरीज की स्वयं की प्रतिरोधक कोशिकाओं को संशोधित कर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सक्षम बनाता है। हालांकि अमेरिका जैसे देशों में यह उपचार 3-4 करोड़ रुपए तक खर्चीला है, भारत का उद्देश्य इसे 25-35 लाख रुपए तक लाना है।
पहला स्वदेशी सीएआर-टी क्लिनिकल ट्रायल शुरू
टाटा मेमोरियल सेंटर (TMC), मुंबई ने बच्चों में इ-सेल तीव्र लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (B-cell ALL) के इलाज के लिए देश का पहला सीएआर-टी क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया है। यह बीमारी उन बच्चों में पाई जाती है, जो सामान्य इलाज का जवाब नहीं देते। नेशनल बायोफार्मा मिशन (NBM) और बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) के सहयोग से इस ट्रायल को साकार किया गया है। यह इलाज ACTREC, TMC के सीएआर-टी सेल थेरेपी सेंटर में विकसित किया जा रहा है, जहां CD-19-टार्गेटेड सीएआर-टी सेल्स को स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया है। इसके लिए अहमदाबाद स्थित इंटास फार्मास्युटिकल्स, लेन्टिवायरस की लागत को कम करने के लिए नई तकनीक विकसित कर रहा है। लेन्टिवायरस, जो सीएआर-टी थेरेपी की लागत का 50% होता है, अब कम खर्चे में बनाया जाएगा, जिससे यह थेरेपी और सस्ती हो सकेगी।
स्थानीय निर्माण और विशेषज्ञता का विकास
बीआईआरएसी के सहयोग से एक अत्याधुनिक जीएमपी अनुपालन सुविधा तैयार की गई है। यह न केवल रक्त कैंसर के इलाज में सहायक है बल्कि ठोस ट्यूमर और अन्य गैर-कैंसर स्थितियों के इलाज में भी उपयोगी साबित हो सकती है। इस परियोजना ने सेल और जीन थेरेपी में कुशल विशेषज्ञों की एक टीम तैयार की है। मिशन डायरेक्टर डॉ. राज के. शिरुमल्ला ने कहा, स्थानीय विशेषज्ञता का विकास न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इस क्षेत्र को मजबूती देगा। सीएआर-टी थेरेपी से मरीजों को अस्पताल में कम समय रहना पड़ता है, उनके लक्षणों में कमी आती है, और उन्हें लंबे समय तक राहत मिलती है। इस प्रोजेक्ट से न केवल भारतीय बच्चों को उन्नत इलाज मिलेगा बल्कि भारत इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान भी बनाएगा। यह पहल देश में स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रही है।

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