हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और डायबिटीज के जोखिम को कम करने में सहायक
सप्ताह में पांच बार डार्क चॉकलेट का सेवन टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम कर सकता है। डार्क चॉकलेट में पाए जाने वाले फ्लावोनॉल्स, जो प्राकृतिक यौगिक होते हैं, हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और डायबिटीज के जोखिम को कम करने में सहायक हैं।
डार्क चॉकलेट का नियमित सेवन टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम कर सकता है। अमेरिका में हुए एक लंबे अध्ययन के अनुसार, सप्ताह में पांच बार डार्क चॉकलेट खाने से डायबिटीज का खतरा 21% तक कम हो सकता है। वहीं, दूध वाली चॉकलेट (मिल्क चॉकलेट) इस तरह के लाभ नहीं दिखाती। यह अध्ययन प्रतिष्ठित इटख जर्नल में प्रकाशित हुआ है। डार्क चॉकलेट में फ्लावोनॉल नामक प्राकृतिक यौगिक पाया जाता है, जो दिल की सेहत को बढ़ावा देने और डायबिटीज के खतरे को कम करने में सहायक है।
हालांकि, दूध वाली चॉकलेट में शुगर और दूध की अधिक मात्रा होने के कारण इसका ऐसा प्रभाव नहीं देखा गया। शोधकतार्ओं ने तीन बड़े अमेरिकी अध्ययनों का डेटा एकत्रित किया, जिसमें 1,92,208 प्रतिभागियों की जानकारी शामिल थी। ये सभी प्रतिभागी हेल्थकेयर पेशेवर और नर्स थे, जिन्हें डायबिटीज, हृदय रोग या कैंसर का इतिहास नहीं था। समग्र चॉकलेट सेवन: 25 वर्षों तक प्रतिभागियों की चॉकलेट खाने की आदतों का विश्लेषण किया गया। डार्क और मिल्क चॉकलेट के प्रभाव: अलग-अलग चॉकलेट प्रकारों के सेवन के आधार पर 1,11,654 प्रतिभागियों का डेटा देखा गया। कुल चॉकलेट सेवन: जो लोग सप्ताह में कम से कम पांच बार किसी भी प्रकार की चॉकलेट खाते थे, उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 10% कम पाया गया।
डार्क चॉकलेट: डार्क चॉकलेट खाने वालों में यह खतरा 21% कम पाया गया। मिल्क चॉकलेट: दूध वाली चॉकलेट का सेवन करने वालों में डायबिटीज के खतरे में कोई खास कमी नहीं देखी गई। हर अतिरिक्त सर्विंग का लाभ: सप्ताह में डार्क चॉकलेट की हर अतिरिक्त सर्विंग से डायबिटीज का खतरा 3% और कम हुआ। दूध वाली चॉकलेट का अधिक सेवन वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है, जबकि डार्क चॉकलेट में ऐसा कोई असर नहीं दिखा। डार्क चॉकलेट के इन सुरक्षात्मक प्रभावों की पुष्टि के लिए और अधिक क्लीनिकल ट्रायल की आवश्यकता है। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि डार्क चॉकलेट किस कारण से डायबिटीज के खतरे को कम करती है। डार्क चॉकलेट न केवल स्वाद में अद्वितीय है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हो सकती है। लेकिन ध्यान रखें, इसका सेवन संतुलित मात्रा में ही करें, और साथ ही नियमित व्यायाम और संतुलित आहार अपनाना न भूलें।