भारत में पहली बार आ रही यह दवा, 40 के बाद चश्मा लगाने की मजबूरी नहीं
एक उम्र के बाद नजदीक की नजर कमजोर हो जाती है। ऐसे में चश्मा लगना लाजिमी हो जाता है, लेकिन यदि आप चश्मा नहीं पहनना चाहते और बिना चश्मे के आपको पढ़ने में दिक्कत हो रही है तो अब इसका भी उपाय मिल गया है। भारतीय बाजार में एक नई आई ड्रॉप आ रही है, जिसे आंखों में डालने के बाद चश्मा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
भारतीय बाजार में एक नई आई ड्रॉप आ रही है, जिसे आंखों में डालने के बाद चश्मा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और बिना चश्मे के भी आप आसानी से किताब पढ़ पाएंगे, लैपटॉप पर काम कर पाएंगे और पास की नजर से जुड़े सभी काम आसानी से कर पाएंगे। मुंबई स्थित भारत की फार्मास्यूटिकल कंपनी एंटोड फार्मास्यूटिकल्स ने यह आई ड्रॉप बनाई है। आई ड्रॉप का नाम है- प्रेस्वू।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने इस दवा को अप्रूव किया है। सीडीएससीओ के अप्रूवल के बाद भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने इस दवा को हरी झंडी दिखा दी है। ये आई ड्रॉप अगले महीने अक्टूबर, 2024 से बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। यह भारतीय बाजार में आने वाली इस तरह की पहली दवा है। भारतीयों की खास जेनेटिक संरचना को देखते हुए यह दवा बनाई गई है। इस दवा का क्लिनिकल ट्रायल सिर्फ भारतीयों पर हुआ है। दवा बनाने और अप्रूव करने वाली संस्थाएं आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर की सलाह और प्रिस्क्रिप्शन के बगैर इस दवा के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देते हैं।
किस तरह काम करती है ये आई ड्रॉप
जिस आई ड्रॉप्स को मंजूरी दी गई है, वह पाइलोकार्पिन युक्त दवा है। इसे मायोटिन ड्रग कहा जाता है। जब हम आंखों में ये दवा डालते हैं तो आंखों की प्यूपिल यानी पुतलियों का आकार छोटा हो जाता है। इससे नजदीक की चीजें साफ दिखाई देने लगती हैं। यह पास की नजर को बेहतर करने का, नजदीक की चीजों को स्पष्ट देखने का सिर्फ अस्थायी तरीका है। इसे डालने से न चश्मा हमेशा के लिए उतर जाता है और न ही आंखों का नंबर कम होता है।
डॉक्टर भी हमेशा इस दवा के इस्तेमाल की सलाह नहीं देते हैं। एक खास केमिकल कंपोजिशन के इस्तेमाल से इस तरह की दवाएं पहली भी निर्मित की जा चुकी हैं। अमेरिका और यूरोप के देशों में ऐसी कई आई ड्रॉप्स पहले से मौजूद हैं, जो नजदीक की नजर को कुछ वक्त के लिए साफ कर देती हैं। लेकिन दुनिया में कहीं भी स्थायी रूप से इस दवा का इस्तेमाल नहीं किया जाता। डॉक्टर भी इसकी सलाह नहीं देते।