एक्ट्रेस श्वेता त्रिपाठी को वेब सीरीज ‘मिजार्पुर’ से बड़ी पहचान मिली है। इस सीरीज के तीसरे सीजन के बाद श्वेता की ‘ये काली काली आंखें’ का दूसरा सीजन भी नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो चुका है। हाल ही में एक्ट्रेस ने इस सीरीज को लेकर बातचीत की। इस दौरान उन्होंने एक्टिंग के अलावा सामाजिक और पर्यावरण में हो रहे बदलाव के बारे में भी बात की। एक्ट्रेस ने बताया कि हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि धरती को बचाने में अपना योगदान दें। जब मैं कहीं छुट्टियों पर जाती हूं तो अपने दोस्तों से कपड़े उधार लेकर जाती हूं। खरीदने से ज्यादा अपनी ननद, दोस्त और सासू मां का कपड़े लेकर जाती हूं। इस तरह से हम लोग एक-दूसरे से कपड़े शेयर करते रहते हैं।
इसमें मजा भी बहुत आता है और बहुत सारी वैरायटी मिल जाती है। अगर कपड़े गंदे नहीं हुए हैं तो वापस पहनने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। मैं खुद के पहनने हुए कपड़े दोबारा पहनती हूं। इससे कपड़े धोने और प्रेस करने में जो इलेक्ट्रिसिटी खर्च होगी, वह बचेगी। अभी पूरी तरह से शाकाहारी बना गई हूं। मैं टिश्यू पेपर भी बहुत कम यूज करती हूं, क्योंकि यह भी पेड़ काटकर बनाए जाते हैं एक्ट्रेस ने इंटरव्यू के दौरान इस बात का भी खुलासा किया कि वो दूसरों से कपड़े उधार लेकर पहनती हैं। मैंने वेब सीरीज ‘कालकूट’ में एसिड अटैक सर्वाइवर का किरदार निभाया था। उस दौरान मैं कुछ लोगों से मिली थी और उन्हें एसिड अटैक विक्टिम बुलाती थी। हालांकि, वे अपने आपको सर्वाइवर बुलाती हैं।
उनकी यह बात सही भी है, क्योंकि वे सर्वाइव कर रही हैं। हमनें उन्हें विक्टिम बनाया है। उनके भी अपने सपने होते हैं, लेकिन जब उनका सपना टूटता है, तो वह सपना सिर्फ उनका नहीं, बल्कि पूरे परिवार का होता है। ‘मिर्जापुर’ और ‘ये काली काली आंखें’ के अलावा ‘कालकूट’ को भी लोगों ने बहुत पसंद किया है। सिनेमा में जो भी बदलाव आया है, उसके लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म और दर्शकों को धन्यवाद देना चाहती हूं। अच्छे कंटेंट तो बन रहे हैं, लेकिन अगर दर्शक नहीं देखेंगे, तो ओटीटी का प्रयास बेकार हो जाएगा। समाज में जिस तरह का बदलाव दिख रहा है, वैसा ही बदलाव सिनेमा में भी देखने को मिल रहा है। अब लड़कियों के लिए अच्छे किरदार लिखे जा रहे हैं, क्योंकि अब लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। हमें ऐसे ही बदलाव की जरूरत थी। जहां पर जेंडर की वजह से ना जज किया जाए। लोगों को बांटने की बजाय, जोड़ने का समय आ गया है। वैसे ही हम सबने जाने और अनजाने में दुनिया की हालत बहुत खराब कर दी है।