उड़ीसा राज्य में पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। इस मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पुरी में स्थित जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़े कई ऐसे रहस्य हैं। जिन्हें जानकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे. तो चलिए जगन्नाथ पुरी मंदिर के इन चमत्कारी रहस्यों के बारे में आपको बतातें हैं।
इस साल भगवान जगन्नाथ की रथा यात्रा 7 जुलाई यानी आज से शुरू हो चुकी हैv हर साल यह रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है। उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का भव्य मंदिर है और यह चार धामों में से एक माना जाता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर से जो रथ यात्रा निकलती है वो 10 दिनों तक चलती है और आषाढ़ शुक्ल पक्ष के 11वें दिन जब भगवान जगन्नाथ की वापसी होती है तब यात्रा का समापन होता है।
तीन अलग-अलग रथ में सवार होंगे भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र
विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में नगर भ्रमण करने के लिए भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम संग निकलेंगे, फिर गुंडिचा माता के मंदिर में प्रवेश करेंगे जहां पर कुछ दिनों के लिए रहेंगे। इस रथ यात्रा में तीन अलग-अलग रथ होंगे ,जिसमें भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलराम शामिल होंगे। रथयात्रा में सबसे आगे बलराम, बीच में बहन सुभद्रा का रथ फिर सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है। इन तीनों रथ की अपनी-अपनी खास विशेषताएं होंगी।
भगवान जगन्नाथ का रथ
भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष अथवा गरुड़ध्वज कहा जाता है, इनका रथ लाल और पीले रंग का होता है। रथ हमेशा नीम की लकड़ी से बनाया जाता है। हर साल बनने वाले ये रथ एक समान ऊंचाई के ही बनाए जाते हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ 44 फीट 2 इंच ऊंचा होता है। इस रथ में कुल 16 पहिए होते हैं। रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे आखिरी में चलता है।