सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने ऑफिस में टॉक्सिक वर्क कल्चर के आरोपों का खंडन किया है। सेबी ने आरोपों को खारिज करते हुए एक बयान जारी किया। मार्केट रेगुलेटर की ओर से जारी बयान में कहा गया कि कुछ कर्मचारी निगेटिव वर्क एनवायरमेंट की कहानी को हवा देकर संस्था से कुछ भी मनवाने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी कई मांगे हैं, उनमें से एक हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) में 55% की बढ़ोतरी भी है।
कर्मचारियों ने लीडरशिप में बदलाव की मांग की
हाल ही में सेबी के कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को एक पत्र लिखकर टॉक्सिक वर्क कल्चर पर चिंता जताई। कर्मचारियों ने लीडरशिप यानी सेबी चीफ माधवी पुरी बुच पर कठोर भाषा का उपयोग करने, अनरियलिस्टिक लक्ष्य निर्धारित करने और माइक्रो मैनेजमेंट का आरोप लगाया और लीडरशिप में बदलाव की मांग की थी।
सेबी के जवाब की बड़ी बातें
1 कुछ कर्मचारियों के एक समूह ने जानबूझकर इस मुद्दे को वर्क एनवायरमेंट से जोड़ा।
2 जूनियर अधिकारियों को उनके ग्रुप के बाहर मैसेज मिल रहे हैं, जो उन्हें उकसा रहे हैं।
3 मैसेज में कहा जा रहा मीडिया में जाओ, मंत्रालय में जाओ, बोर्ड में जाओ।
जी के फाउंडर ने सेबी चीफ पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाया था
कल (मंगलवार, 3 सितंबर) जी के फाउंडर सुभाष चंद्रा ने सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर पक्षपात, भ्रष्टाचार और अनैतिक व्यवहार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि सेबी चेयरपर्सन भ्रष्ट हैं, क्योंकि सेबी में पद संभालने से पहले बुच और उनके पति की संयुक्त आय लगभग 1 करोड़ रुपए प्रति वर्ष थी, जो अब 40-50 करोड़ रुपए प्रति वर्ष हो गई है।
कांग्रेस ने सेबी पर तीन जगह से सैलरी लेने का आरोप लगाया
इससे पहले सोमवार को सेबी पर कांग्रेस पार्टी ने भी सेबी से जुड़े होने के दौरान आईसीआईसीआई बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक सेबी में पूर्णकालिक सदस्य थीं। फिर 2 मार्च, 2022 को माधबी पुरी बुच सेबी की चेयरपर्सन बनीं। सेबी की चेयरपर्सन को नियुक्त करने वाली कैबिनेट में PM मोदी और अमित शाह शामिल हैं। उधर, ICICI ने आरोपों को नकार दिया और कहा, बैंक से रिटायर होने के बाद माधवी को कोई सैलरी या एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन नहीं दिया गया।