सोने से 3-4 घंटे पहले करें डिनर, दोपहर के बाद न पिएं चाय-कॉफी
अच्छी नींद संपूर्ण सेहत के लिए बेहद जरूरी है। अच्छी नींद से शरीर ठीक से रिकवर करता है, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और हमारी सोचने-समझने की क्षमता भी बेहतर होती है। हालांकि नींद को कई कारक प्रभावित करते हैं, जैसे अच्छी नींद के लिए कमरे का तापमान सही होना और आरामदेह बिस्तर भी जरूरी है।
ऐसे ही यदि सोने के 3 से 4 घंटे पहले भोजन कर लें, दोपहर के बाद चाय-कॉफी का उपयोग कम करें तो इससे भी नींद अच्छी आती है। इसके अलावा इन तीन वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर भी आप नींद की गुणवत्ता सुधार सकते हैं।
रोज नियमित समय पर सोएं-जागें
हमारा शरीर सर्केडियन रिदम पर काम करता है, जो 24 घंटे का नेचुरल साइकिल है। यह रोशनी और अंधेरे से नियंत्रित होता है। रोज नियमित समय पर सोने और जागने से यह इंटरनल क्लॉक नियमित रहती है, जिससे सोने और जागने में आसानी होती है।
सोने से 1 घंटे पहले गैजेट बंद करें
स्मार्टफोन, टैबलेट, और कंप्यूटर जैसे डिवाइस से निकलने वाली ब्लू लाइट हार्मोन मेलाटोनिन के उत्पादन में बाधा डाल सकती है। यह हार्मोन हमारी नींद को नियंत्रित करता है। सोने से कम से कम एक घंटे पहले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग न करें। अगर इन्हें इस्तेमाल करना जरूरी हो तो ब्लू लाइट फिल्टर का इस्तेमाल करें।
ब्रीदिंग तकनीक 4-7-8 अपनाएं
रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास सोने से पहले शरीर को यह संकेत देता है कि अब आराम का समय है। डीप ब्रीदिंग, प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन और 4-7-8 ब्रीदिंग जैसी तकनीक तनाव को कम कर मन को शांत करती हैं। सोने के रूटीन में 4-7-8 ब्रीदिंग तकनीक को शामिल करें, जिससे गहरी नींद में मदद मिलती है। नींद हमारे रोजमर्रा के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिस पोजिशन में हम सोते हैं, वह हमारे स्वास्थ्य पर बड़ा असर डाल सकती है। सोने की अलग-अलग पोजिशन के अपने फायदे और नुकसान हैं। बाईं तरफ सोने से गुरुत्वाकर्षण भोजन को पाचन नली में मूव करने में मदद करता है। जर्नल ऑफ क्लिनिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी के अनुसार बाईं तरफ सोने से एसिड रिफ्लक्स की समस्या घटती है। बाईं तरफ सोने से वायु मार्ग खुले रहते हैं, जिससे खर्राटे और नींद टूटने की समस्या कम होती है।